परिचय:क्यों करें मक्का की खेती? 1 बिहार के किसानों के लिए मक्का की खेती की सुपर गाइड: जून में लाभदायक बुवाई कैसे करें?

बिहार के किसानों के लिए जून का महीना खेती के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, क्योंकि यही वह समय है जब खरीफ की फसलें बोई जाती हैं। इन फसलों में मक्का (Maize) एक प्रमुख और लाभकारी फसल मानी जाती है। मक्का की खेती न केवल अनाज के लिए बल्कि पशु चारे, मुर्गी पालन के लिए फ़ीड और औद्योगिक उपयोग के लिए भी की जाती है।

मक्का एक बहुपयोगी और बहुउद्देशीय फसल है जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। बिहार के अधिकांश जिलों में इसकी खेती खरीफ सीजन (जून-जुलाई) में की जाती है, जब मानसून आता है और मिट्टी में नमी होती है।


मक्का की खेती के लाभ

  • कम लागत में अधिक उत्पादन और अच्छा लाभ
  • बहुउद्देशीय उपयोग: अनाज, चारा, फीड, स्टार्च
  • फसल चक्र में आसानी से शामिल की जा सकती है
  • सूखा रोधी संकर किस्में उपलब्ध
  • सरकारी योजनाओं से सहायता और सब्सिडी मिलती है

मौसम और मिट्टी की उपयुक्तता (बिहार के अनुसार)

बिहार में जून से सितंबर तक मानसूनी बारिश होती है, जो मक्का की बुवाई और बढ़वार के लिए उत्तम है। यह फसल गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी उपज देती है।

घटकविवरण
मौसम का प्रकारगर्म और आर्द्र (मानसूनी) जलवायु मक्का के लिए उपयुक्त है
अनुकूल तापमान21°C से 30°C
वर्षा की आवश्यकता500 से 800 मिमी मानसूनी बारिश पर्याप्त होती है
बुवाई का समयजून से जुलाई (खरीफ सीजन)
मिट्टी का प्रकारदोमट, बलुई दोमट या जलोढ़ मिट्टी — जिसमें जल निकासी अच्छी हो
मिट्टी का pH स्तर5.5 से 7.5 के बीच उपयुक्त
खेत की स्थितिसमतल, जलभराव से मुक्त, अच्छी जलधारण क्षमता

जून में मक्का की बुवाई कैसे करें?

1. भूमि की तैयारी

  • पहली वर्षा के बाद खेत को 2-3 बार हल चलाकर भुरभुरा बनाएं।
  • मिट्टी को समतल करें और खरपतवार निकाल दें।
  • खेत की अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें।

2. बीज चयन

बिहार में खरीफ सीजन के लिए निम्नलिखित संकर और हाई-प्रोटीन किस्में लाभदायक हैं:

  • HQPM-1, HQPM-5 (उच्च प्रोटीन युक्त)
  • Suwan-1, Ganga-5
  • Shaktiman-1, 2, 3, 4, 5 (सूखा और रोग प्रतिरोधक)

बीज की मात्रा:

  • प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

3. बीज उपचार

  • बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक (जैसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज) से उपचारित करें।
  • कीट से सुरक्षा के लिए थायोमेथोक्साम या इमिडाक्लोप्रिड से बीज उपचार करें।

4. बुवाई विधि और दूरी

  • कतार से कतार की दूरी: 60 सेमी
  • पौधे से पौधे की दूरी: 20 सेमी
  • गहराई: बीज को 4-5 सेमी गहराई में बोना चाहिए।

बुवाई के लिए सीड ड्रिल या देशी हल का उपयोग किया जा सकता है।


सिंचाई और नमी प्रबंधन

खरीफ मौसम में अधिकांश सिंचाई मानसून के द्वारा हो जाती है, लेकिन यदि वर्षा नहीं हो रही हो, तो नीचे दिए गए चरणों पर सिंचाई करनी चाहिए:

  • अंकुरण के समय
  • घुटना ऊँचाई चरण (20–25 दिन बाद)
  • फूल आने (तस्सलिंग) और रेशे निकलने (सिल्किंग) के समय
  • दाना भरने के समय

एक हेक्टेयर मक्का फसल को औसतन 4–5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।


खाद एवं उर्वरक प्रबंधन (बिहार राज्य के सिफारिश अनुसार)

उपज बढ़ाने के लिए संतुलित पोषण जरूरी है।

  • नाइट्रोजन (N) – 120 से 150 किग्रा/हेक्टेयर
  • फॉस्फोरस (P) – 60 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश (K) – 40 किग्रा/हेक्टेयर

खाद देने की विधि:

  • 1/3 नाइट्रोजन + सभी P और K बुवाई के समय
  • शेष 2/3 नाइट्रोजन को 2 भागों में – एक घुटना ऊंचाई और एक फूल आने पर दें

निंदाई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण

  • खरपतवार मक्का की उपज में 30% तक की गिरावट ला सकते हैं।
  • बुवाई के बाद Atrazine (1 किग्रा/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
  • 20 और 40 दिन बाद हाथ से निंदाई करें।

रोग और कीट नियंत्रण

मुख्य कीट:

  • तना छेदक (Stem borer)
  • फॉल आर्मीवॉर्म (Fall armyworm)
  • शूट फ्लाई

नियंत्रण:

  • जैविक उपाय: नीम तेल या बायोपेस्टीसाइड का छिड़काव
  • रासायनिक उपाय: क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल, स्पाइनोसैड, आदि की उचित मात्रा में छिड़काव

प्रमुख रोग:

  • पत्ती झुलसा
  • रस्ट
  • डाउन माइल्ड्यू

नियंत्रण:

  • बीज उपचार करें
  • रोग प्रतिरोधक किस्में लगाएं
  • रोग दिखते ही ट्राइकोडर्मा या अनुशंसित फफूंदनाशक का प्रयोग करें

फसल की कटाई और उपज

कटाई का समय:

  • जब पौधे पूरी तरह सूख जाएं और मक्का के दाने सख्त हो जाएं।

औसत उपज:

  • 6–8 टन प्रति हेक्टेयर (25–30 क्विंटल प्रति एकड़)

भंडारण:

  • दानों को 12-13% नमी पर सुखाकर भंडारण करें।
  • बोरियों या एअरटाइट ड्रम में रखें।

बाजार, मुनाफा और सरकारी सहायता

  • मक्का का उपयोग चारे, मुर्गी फ़ीड और स्टार्च इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है।
  • सरकार हर वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है।
  • बिहार सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे:
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM – मक्का)
    • PKVY – परंपरागत कृषि विकास योजना
    • कृषि यंत्र सब्सिडी
      किसानों को सहायता दी जाती है।

निष्कर्ष: किसान क्या करें?

बिहार के किसान यदि जून महीने में सही समय पर मक्का की खेती शुरू करें, अच्छी किस्मों का चयन करें, और वैज्ञानिक तरीके अपनाएं, तो वे 2 से 3 गुना लाभ कमा सकते हैं। यह फसल अन्य खरीफ फसलों की तुलना में कम जोखिम और उच्च उत्पादन देती है। साथ ही, यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी सहायक है।

बिहार के किसानों के लिए मक्का (Maize) की खेती को बढ़ावा देने हेतु केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जाती हैं। यहां एक प्रमुख और लाभकारी योजना दी जा रही है:

योजना का उद्देश्य:

बिहार समेत अन्य राज्यों में मक्का की उत्पादकता बढ़ाना, उन्नत बीजों का उपयोग प्रोत्साहित करना, और वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देना।


बिहार में योजना के मुख्य लाभ:

सुविधाविवरण
उन्नत बीज पर सब्सिडीसंकर बीजों पर 50% तक सब्सिडी
मशीनरी सहायतामक्का बुवाई यंत्र, हैरो, रोटावेटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर आदि पर अनुदान
फार्मर ट्रेनिंगमक्का उत्पादन की वैज्ञानिक विधियाँ सीखने हेतु प्रशिक्षण
जैविक खाद एवं माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पर मददखेत की उर्वरता सुधारने के लिए जैविक खादों पर सहायता
फसल प्रदर्शन (Demonstration)खेतों में उन्नत विधियों का प्रदर्शन कर किसानों को दिखाना

इस योजना का लाभ कैसे उठाएं?

  1. कृषि विभाग के ज़िला कार्यालय या किसान सलाह केंद्र (Kisan Salah Kendra) में संपर्क करें।
  2. कृषि यंत्र या बीज के लिए आवेदन करें (ऑनलाइन या ऑफलाइन)
  3. मूल दस्तावेज़ रखें तैयार: आधार कार्ड, भूमि संबंधी कागजात, बैंक पासबुक, किसान रजिस्ट्रेशन संख्या

ऑनलाइन पोर्टल

➡️ http://dbtagriculture.bihar.gov.in/
➡️ https://agriculture.bih.nic.in/


अतिरिक्त सुझाव:

  • मक्का उगाने वाले किसान PM-KISAN योजना का भी लाभ उठा सकते हैं – जिसमें ₹6000 सालाना सीधे खाते में मिलता है।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत जैविक मक्का की खेती करने पर अलग से सहायता मिलती है।

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